


आज के डिजिटल युग में प्यार रचाना बहुत सुविधाजनक हो गया है, फिर भी न तो प्रेमियों ने पेड़ों पर लटकना बंद किया और न ही ज़हर गटकना कम किया। प्रेम की जो अभिव्यक्ति पहले महीनों-सालों तक की लम्बी हुआ करती, अब कुछ क्लिक की दूरी पर है। प्रेमिका की झलक मात्र पाने के लिये पहले जो मशक्कत हुआ करती, उसे अब वीडियो कॉल ने बेहद सरल कर दिया है। वे भी दिन थे जब गाया जाता था-
तुमने पुकारा और हम चले आये, जान हथेली पर ले आये रे।
अब तो मिलने के बहाने और ठिकाने अनंत हो गये हैं। युवा पीढ़ी ने मोमो और बर्गर खाने, फूल देने-लेने को ही प्रेम मान लिया है। ऊपर से बेशर्मी ने प्यार की धज्जियां उड़ा दी हैं। अब एकांत की तलाश में कोई समय नहीं गवाता। न बड़े-छोटों की शर्म-संकोच। इसलिये ‘फूल तुम्हें भेजा है खत में, फूल नहीं मेरा दिल है’ गाने वाली पीढ़ी पागल लगती है।
अब तो सारी-सारी रात प्रेमी वीडियो कॉल्ज के माध्यम से निकटतम होने का आभास करते हैं। और फिर फोन की इसी स्क्रीन पर प्रेम में धमाचौकड़ी होती है, घमासान होता है। फिर ब्लॉक-अनब्लॉक का खेल शुरू हो जाता है। और यहीं से ‘तू नहीं तो और सही’ के ख्याल में प्रेम के कोमल धागे तार-तार हो जाते हैं।
वह भी समय था जब प्यार भरी उम्मीदों की चिट्ठी आने में सप्ताह लग जाया करता और यह प्रतीक्षा किसी परीक्षा से कम नहीं हुआ करती। खत का जवाब पाना भी किसी उपलब्धि से कम नहीं था। ये पत्र नवजीवन देने वाली संजीवनी हुआ करते। आजकल तो व्हट्सएप पर एक सेकंड में जवाब आता है। प्यार के जवाब की जल्दी ने प्यार को समझने का मौका ही चुरा लिया है। साथ ही प्यार के रिश्तों से दर्द, खुशी, संवेदना जैसे भावों का अंत होने लगा है। आज का प्रेम मोबाइल से जुड़ा है, दिल से नहीं।
आज के डिजिटल प्रेमी एक-दूसरे से हर पल जुड़े रहते हैं। बस एक टेक्स्ट भेजो, दिल की बात तुरंत सामने आ जाती है। जो दूरी पहले हज़ारों मीलों की हुआ करती अब बस इंटरनेट के एक सिग्नल तक सीमित है। पर ये प्रेमी डिजिटली बहुत निकट होने के बावजूद भी दिलों से बहुत दूर हो गये हैं। प्यार में न तो वह संघर्ष है, न दिलों की गहराई। अब प्यार में सब कुछ है, बस “प्रेम तत्व” नदारद है।